श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः
मङ्गलाचरणम्
अनन्तगुणपूर्णाय दोष दूराय विष्णवे ।
नमः श्रीप्राणनाथाय भक्ताभीष्टप्रदायिने ॥१॥
ईशाद्युपनिषद्व्याख्या श्रीभाष्याद्यनुसारिणी ।
गूढार्थदीपिका भाषा क्रियते शिष्ययाञ्चया ॥२॥
शुक्लयजुर्वेदीय माध्यन्दिनीशाखानुसारिणी काण्व शाखा के चतुर्थ दशक के दशम अध्याय के प्रथम अनुवाक को ‘ईशोपनिषद्’ कहते हैं। वाजसनेयी संहिता के चालीसवें अध्याय में शब्दकृत अनेक भेद है । तथापि मौलिक अर्थ में प्रायः भेद नहीं है।
क्रमशः —
व्याख्याकार:
श्री १००८ श्रीमद्वेदमार्गप्रतिष्ठापनाचार्योभय-वेदान्तप्रवर्तकाचार्य श्रीमत्परमहंस-परिव्राजकाचार्य सत्सम्प्रदायाचार्य श्रोत्रिय-ब्रह्मनिष्ठ जगद्गुरु भगवदनन्तपादीय श्रीमद्विष्वक्सेनाचार्य श्रीत्रिदण्डी स्वामीजी महाराज
अस्मदाचार्य-स्तुतिः
काषायं यज्ञसूत्रं शुचिवपुषि तथा चोर्ध्वपुण्ड्रंचभाले ।
यस्यास्ते दक्षहस्ते कलिकुमतिगिरीन्द्रेन्द्रवज्र त्रिदण्डम् ।।
संसाराग्निप्रशान्त्यै भृतजलममलं दारुपात्रं पवित्रम् ।
श्रीविष्वक्सेनसूरेः पदकमलयुगं श्रेयसे संश्रयामि ॥
श्रीमद्विष्वक्सेनाचार्य पुण्य-पुरूष का अवतरण भारतवर्ष की परम पावन गंगा नदी के आंचल में बिहार राज्यान्तर्गत वामनाश्रम (बक्सर) से दो योजन (19 कि. मी.) दक्षिण तथा ऐतिहासिक युद्ध-भूमि चौसा से लगभग एक योजन (9 कि. मी.) पूरब हेटुआ राजपुर थानान्तर्गत सिसराङ ग्राम निवासी परम भागवत कश्यपगोत्रीय सरयूपारीण ब्राह्मण पं. श्री नारायण चतुर्वेदी जी (घरेलु नाम पं. नक छेदी चतुर्वेदी) की धर्मपत्नी श्रीमती महामान्या इन्दिरा जी के अक में हुआ। इनके बड़े भाई का नाम पं. छविनाथ चतुर्वेदी, मझले भाई का नाम श्री धन जी चतुर्वेदी था। उस समय इस गाँव की जनसंख्या सैकड़ों की थी। आज तो हजारों की संख्या में सरयूपारीण ब्राह्मण, भूमिहार ब्राह्मण, कुशवाहा, क्षत्रिय, वैश्य-वर्ग तथा हरिजन यहाँ निवास कर रहे हैं। जिस समय स्वामीजी का अवतरण हो रहा था उस समय की बेला परम रमणीय थी। मेष संक्रान्ति में ऋतुराज का वैशाख-मास आया हुआ था। सारी पृथ्वी पर राकेश अपनी ज्योत्स्ना
बिखेर रहा था। मध्य रात्रि के कोलाहल रहित वातावरण में समीर अपनी सुगन्ध फैला रहा था। उसी महापावन ब्रह्मवेला में महाभागवतीजी ने परम देदीप्यमान नवजात शिशु के रूप में जगद्गुरुस्वामीजी को पाया था।
समश्रायण आचार्य: श्री श्री १००८ श्री रामकृष्णाचार्य स्वामीजी महाराज
संन्यास आश्रम आचार्य: श्री वादी केशरी जीयर स्वामी, काँचीपुरम
श्री वैकुंठनाथ भगवान, सिद्धाश्रम, बक्सर
अडियेन माधव श्रीनिवास रामानुज दास
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